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Makhan Chori Leela

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माखन चोरी लीला

कान्हा के माखन चोरी देखने के लिए बेताब गवालिन

कान्हा के बाल लीला देखने के लिए सभी गोकुल वासी कान्हा का इंतज़ार कर रहे हैं और देखना चाहते हैं किस का आज भाग्य चमकने वाला है. कान्हा चोरी -चोरी चुपके - चुपके अपने पांव दबाते हुए एक घर में जाते हैं और वहां पर वो माखन देखते हैं जब उस मटकी पर उनके हाथ नहीं पहुंचते तो वो छज्जे पर चढ़कर मटकी से माखन निकालते हैं.

तभी गांव की सभी ग्वालिन आ जाती हैं और कान्हा को माखन चुराते हुए निहारती रहती हैं. तभी गांव की ग्वालिन कान्हा को पकड़ लेती है और कहती है कि किसका माखन चुराया है तो कान्हा कहते हैं नहीं मैंने किसी का माखन नहीं चुराया है और तभी उसमें से एक कहती है कि चले यशोदा के पास. तभी कान्हा कहते हैं कि नहीं नहीं मइया से कुछ मत कहना नहीं तो मइया फिर से मुझे ओखल से बांध देंगी.

कैसे कृष्ण ने माखन चोरी का मोल चुकाया :-

सभी ग्वालिन कहती हैं नहीं नहीं हम नहीं कहेंगे लेकिन तुम्हें इस माखन चोरी का मोल देना पड़ेगा.कान्हा कहते हैं कि ले लो मेरे कंगन ले लो लेकिन वो गांव की ग्वालिनें कहती हैं कि नहीं नहीं हम कंगन नहीं हम तो चुंबन लेंगे . कान्हा कहते हैं कि सभी के सामने चुंबन लोगी,तो सभी कहती हैं- हां सब के सामने . कान्हा कहते हैं कि सब के सामने मुझे लाज आती है. सभी कान्हा को पकड़ के चुंबन ले रहे और कान्हा उन के बीच बड़ी ही मंझधार में फंस चुके हैं. तो दूसरी तरफ कान्हा के सखा उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं.

कान्हा का नृत्य ग्वालिन के साथ :-

उसमें से एक गवालीन कहती है कि सुना है तुम्हें नाच भी आता है तो कान्हा कहते हैं हां आता तो है. ये सुन शर्त रख दी कान्हा के सामने कि तुम्हें नृत्य करके दिखाना होगा. अब माखन के लिए सभी के सामने कान्हा नृत्य कर रहे हैं. नाचते नाचते कान्हा थक जाते हैं और ग्वालिन से छास पिलाने के लिए कहते हैं . छास पीने के बाद ग्वालिन कान्हा से कहती हैं कि अब तुम्हें हमारे साथ रास करना होगा. अब कान्हा सभी ग्वालिन के साथ रास कर रहे हैं.

बाल कृष्ण की ग्वालिन के संग लीला :-

तभी नृत्य करते करते कान्हा वहां से ओझल हो जाते हैं और सारा माखन लेकर अपने सखा के पास जाते हैं और कहते हैं कि आज के बाद मैं कभी माखन चोरी नही करूंगा. आज खा लो इसके बाद तुम्हारा ये राजा अकेले चोरी नही करेगा. आज गाँव की ग्वालिनों ने चुंबन ले ले कर गाल छील दिया और नृत्य करा करा कर कमर लचक गई है. कान्हा के सभी सखा उदास हो जाते हैं और कान्हा को मनाने लगते हैं. कोई कान्हा का पाँव दबा रहा है तो कोई कान्हा का सिर. तभी कान्हा का सखा कहता है मनसुखा तू सोच की अब क्या करे. अब हमारे पास दो ही रास्ते हैं या तो हमें माँगने पे माखन मिले या फिर चोरी करके माखन मिले. मांगने पर तो हमें नहीं मिलेगा माखन और हमें चोरी करना ही मात्र एक उपाय है और कान्हा तो हमारा माखन चोर है .

माखन चोरों की टोली चली माखन चुराने :-

तभी कान्हा कहते हैं माखन चोर का राजा अब अकेले चोरी नहीं करेगा अब प्रजा भी साथ चलेगी. और सभी सखा मान जाते हैं. तो फिर माखन चोरों की टोली एक घर में जा रही है माखन चोरी करने .ऐसे सभी एक साथ मिलकर चोरी करने जा रहे हैं और जब चोरी कर ही रहे होते हैं कि तभी उनमें से एक साथी को छींक आ जाती है और सभी वहां पे पकड़े जाते हैं और वहां से सभी भाग जाते हैं.

घर में यशोदा से काकी कहती है कि पूरे गांव में कान्हा का नाम माखन चोर के नाम से जाना जा रहा है .तभी यशोदा कहती है कि मेरा कान्हा चोरी करेगा या कुछ और करेगा ? माखन चोरी क्यों करेगा मइयां तो उसे माखन देती है. तभी कान्हा वहां पर आते हैं ... और जब काकी और यशोदा कान्हा से पूछती है तो कान्हा अपने चुपड़ी चुपड़ी बातों से मइयां यशोदा को अपने मोह जाल मैं फंसा लेते है.

कान्हा ने कैसे लिया ग्वालिनों से अपनी शिकायत का बदला :-

कान्हा काकी से पूछते हैं कि कौन कौन उनकी शिकायत कर रहा था . काकी सभी के नाम बता देती हैं. फिर कान्हा सभी को मज़ा सिखाने का सोचते हैं . कान्हा और उनकी प्रजा यह तय करती है की उन सभी ग्वालिनों की माखन मटकी फोड़ दी जाए .सभी पेड़ पर चढ़कर ग्वालिनों की राह देख रहे हैं .जैसे नज़दीक आती हैं वैसे ही गुलेल से सभी की माखन की मटकी फोड़ देते हैं . कान्हा के सभी सखा भाग जाते हैं और कान्हा पकड़े जाते हैं .

निस्वार्थ प्रेम की निशानी वृन्दावन:-

निस्वार्थ प्रेम की निशानी वृन्दावन धाम की जमीन पर उग आया जो माना जाता है कि श्री राधा रानी का मन और ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक धन्य भूमि है । उन्होंने यमुना के तट पर महा-रास लीला किया जो को युगो युगो तक नहीं भुलाया जा सकता ये अटूट भक्ति (प्रेम ) का संगम था।

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