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Jehar Nritya

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जेहर नृ्त्य भारतवर्ष में महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ में मनाया जाता है वही ब्रज क्षेत्र में इस पर्व को जितनी श्रद्धा और भक्ति के साथ में मनाया जाता है उसके साथ ही साथ एक संस्कार भी यहां पर प्रकट होता है कि शिवरात्रि के दिन ब्रज में जो भी माँ उसी वर्ष भर के भीतर पुत्र की प्राप्ति करती है तो 1 वर्ष के अंदर पढ़ने वाली प्रथम शिवरात्रि को वह माता अपने पुत्र के होने की खुशी में और जो माँ अपने पुत्र का विवाह करती है वह मां भी अपने पुत्र के विवाह होने की खुशी में पढ़ने वाली प्रथम शिवरात्रि को नववधू को लेकर अपने सर पर कलश रखकर जेहर चढ़ाने के लिए भगवान शिव के शिवालय में जाती है अपने सिर पर 5 मटकी जिसमे गंगाजल, दूध, दही. शहद और साधारण जल जिसमें काले तिल रखकर के इस प्रकार प्रेम भक्ति का दीपक प्रज्वलित करते हुए भगवान शिव के मंदिर की ओर जाती है और मार्ग पर नृत्य के साथ - साथ गायन करती हुई संगीत पर वाद्य यंत्रों पर भगवान शिव के गीत और भगवान कृष्ण के गीत गाती हुई भगवान शंकर के शिवालय में जाकर के जेहर महादेव को अर्पण करती है पौराणिक नृत्य में इसे जेहर कहा जाता है, इसीलिए यह ब्रज का एक प्रसिद्ध नृत्य भी कहलाता है लेकिन इसके पीछे की छोटी कहानी तो भगवान शिव को शिवरात्रि पर जेहर अर्पण करना ही है !

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